छाँछ(लस्सी,मट्ठा) पीने के फायदे(Benefit)
छाँछ(लस्सी,मट्ठा) पीने के फायदे(Benefit)
( छाँछ पीने के फायदे)
छाछ यानि के buttermilk कमाल का product है स्वाद में तो यह मजेदार लगता ही है, शरीर में ठंडक भी बनाए रखता है। नमकीन या मीठी लस्सी के रूप में इसका सेवन पाचन के लिए भी फायदेमंद होता है। गावों में लोग छाछ को अलग तरीके से बनाते है और वो लोग पुराने तरीके से दही से buttermilk को बनाते है जिसकी वजह से इसकी गुणवता मायने रखती है
मट्ठा को पीने से सिर के बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। भोजन के अन्त
में छाछ, रात के मध्य दूध और रात के अन्त में पानी पीने से स्वास्थ्य
अच्छा रहता है।छाछ या मट्ठा शरीर में उपस्थित विजातीय तत्वों को बाहर
निकालकर नया जीवन प्रदान करता है।
यह शरीर में प्रतिरोधात्मक (रोगों से लड़ने की शक्ति) शक्ति पैदा करता है। मट्ठा में घी नहीं होना चाहिए। गाय के दूध से बनी मट्ठा सर्वोत्तम होतीहै। मट्ठा का सेवन करने से जो रोग नष्ट होते हैं। वे जीवन में फिर दुबारा कभी नहीं होते हैं।
छाछ खट्टी नहीं होनी चाहिए। पेट के रोगों में छाछ को दिन में कई बार पीना चाहिए। गर्मी में मट्ठा पीने से शरीर तरोताजा रहता है। रोजाना नाश्ते और भोजन के बाद मट्ठा पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। मट्ठा को पीने से सिर के बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं।
भोजन के अन्त में मट्ठा, रात के मध्य दूध और रात के अन्त में पानी पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।दही को मथकर छाछ को बनाया जाता है। छाछ गरीबों की सस्ती औषधि है। मट्ठा गरीबों के अनेक शारीरिक दोषों को दूरकर उनकी तन्दुरुस्ती बढ़ाने में तथा आहार के रूप में महत्वपूर्ण है।
कई लोगों को छाछ नहीं पचती है। उनके लिए मट्ठा बहुत ही गुणकारी होती है। ताजा मट्ठा बहुत ही लाभकारी होती है। छाछ की कढ़ी स्वादिष्ट होती है और वह पाचक भी होती है। उत्तर भारत में तथा पंजाब में छाछ में चीनी मिलाकर उसकी लस्सी बनाकर उपयोग करते हैं।
लस्सी में बर्फ का ठण्डा पानी डाला जाए तो यह बहुत ही लाभकारी हो जाती है। लस्सी जलन, प्यास और गर्मी को दूर करती है। लस्सी गर्मी के मौसम में शर्बतका काम करती है। छाछ में खटाई होने से यह भूख को बढ़ाती है।
भोजन में रुचि पैदा करती है और भोजन का पाचन करती है जिन्हें भूख न लगती हो या भोजन न पचता हो, खट्टी-खट्टी डकारें आती हो और पेट फूलने से छाती में घबराहट होती हो तो उनके लिए छाछ का सेवन अमृत के समान लाभकारी होता है। इसके लिए सभी आहारों का सेवन बंद करके 6 किलो दूध की छाछ बनाकर सेवन करने से शारीरिक शक्ति बनी रहती है।
छाछ ( chhachh ) दही को मथ कर उसमे पानी मिलाकर बनायी जाती है। एक गिलास में चार चम्मच ताजा दही ले। इसको मथनी churner से मथ लें। अब इसमें पानी मिलाकर पूरा गिलास भर लें। इसमें थोड़ा सा नमक स्वाद के अनुसार मिलाकर पिए। इसी पेय को छाछ कहते है।
पानी की मात्रा कम या ज्यादा करके अपनी पसंद के हिसाब से इसे पतली या गाढ़ी कर सकते है। गाय के दूध से बनी chhachh सबसे अच्छी होती है। घर पर बना हुआ दही अधिक शुध्द और ताजा होता है। दही बनाने की विभिन्न विधियाँ तथा गर्मी और सर्दी में दही अच्छा कैसे जमायें यह जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
इन दिनों शारीरिक गतिविधि कम होने के कारण हृदय रोग होने की संभावना बढ़ गई है अतः दही और छाछ टोंड मिल्क से बने हुए लेने चाहिए। इसमें फैट की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है। यदि दही फुल क्रीम वाले दूध से बना है तो छाछ को मथकर मक्खन निकाल दें। फिर बची हुई chhach काम में लें। खट्टी छाछ नहीं पीनी चाहिए।
यह शरीर में प्रतिरोधात्मक (रोगों से लड़ने की शक्ति) शक्ति पैदा करता है। मट्ठा में घी नहीं होना चाहिए। गाय के दूध से बनी मट्ठा सर्वोत्तम होतीहै। मट्ठा का सेवन करने से जो रोग नष्ट होते हैं। वे जीवन में फिर दुबारा कभी नहीं होते हैं।
छाछ खट्टी नहीं होनी चाहिए। पेट के रोगों में छाछ को दिन में कई बार पीना चाहिए। गर्मी में मट्ठा पीने से शरीर तरोताजा रहता है। रोजाना नाश्ते और भोजन के बाद मट्ठा पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। मट्ठा को पीने से सिर के बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं।
भोजन के अन्त में मट्ठा, रात के मध्य दूध और रात के अन्त में पानी पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।दही को मथकर छाछ को बनाया जाता है। छाछ गरीबों की सस्ती औषधि है। मट्ठा गरीबों के अनेक शारीरिक दोषों को दूरकर उनकी तन्दुरुस्ती बढ़ाने में तथा आहार के रूप में महत्वपूर्ण है।
कई लोगों को छाछ नहीं पचती है। उनके लिए मट्ठा बहुत ही गुणकारी होती है। ताजा मट्ठा बहुत ही लाभकारी होती है। छाछ की कढ़ी स्वादिष्ट होती है और वह पाचक भी होती है। उत्तर भारत में तथा पंजाब में छाछ में चीनी मिलाकर उसकी लस्सी बनाकर उपयोग करते हैं।
लस्सी में बर्फ का ठण्डा पानी डाला जाए तो यह बहुत ही लाभकारी हो जाती है। लस्सी जलन, प्यास और गर्मी को दूर करती है। लस्सी गर्मी के मौसम में शर्बतका काम करती है। छाछ में खटाई होने से यह भूख को बढ़ाती है।
भोजन में रुचि पैदा करती है और भोजन का पाचन करती है जिन्हें भूख न लगती हो या भोजन न पचता हो, खट्टी-खट्टी डकारें आती हो और पेट फूलने से छाती में घबराहट होती हो तो उनके लिए छाछ का सेवन अमृत के समान लाभकारी होता है। इसके लिए सभी आहारों का सेवन बंद करके 6 किलो दूध की छाछ बनाकर सेवन करने से शारीरिक शक्ति बनी रहती है।
छाछ बनाने का तरीका
chach kaise banate heछाछ ( chhachh ) दही को मथ कर उसमे पानी मिलाकर बनायी जाती है। एक गिलास में चार चम्मच ताजा दही ले। इसको मथनी churner से मथ लें। अब इसमें पानी मिलाकर पूरा गिलास भर लें। इसमें थोड़ा सा नमक स्वाद के अनुसार मिलाकर पिए। इसी पेय को छाछ कहते है।
पानी की मात्रा कम या ज्यादा करके अपनी पसंद के हिसाब से इसे पतली या गाढ़ी कर सकते है। गाय के दूध से बनी chhachh सबसे अच्छी होती है। घर पर बना हुआ दही अधिक शुध्द और ताजा होता है। दही बनाने की विभिन्न विधियाँ तथा गर्मी और सर्दी में दही अच्छा कैसे जमायें यह जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
इन दिनों शारीरिक गतिविधि कम होने के कारण हृदय रोग होने की संभावना बढ़ गई है अतः दही और छाछ टोंड मिल्क से बने हुए लेने चाहिए। इसमें फैट की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है। यदि दही फुल क्रीम वाले दूध से बना है तो छाछ को मथकर मक्खन निकाल दें। फिर बची हुई chhach काम में लें। खट्टी छाछ नहीं पीनी चाहिए।
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